जन गण मन(JANA GANA MANA)
जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता। पंजाब सिंध गुजरात मराठा द्रविड़ उत्कल बंग। विंध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधि तरंग। तव शुभ नामे जागे तव शुभ आशीष
जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता। पंजाब सिंध गुजरात मराठा द्रविड़ उत्कल बंग। विंध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधि तरंग। तव शुभ नामे जागे तव शुभ आशीष
जगजननी जय जय जगजननी जय! जय!! माँ! जगजननी जय! जय!! भयहारिणि, भवतारिणि, भवभामिनि जय! जय!! तू ही सत्-चित्-सुखमय, शुद्ध ब्रह्मरूपा। सत्य सनातन सुन्दर, पर-शिव सुर-भूपा॥ आदि अनादि अनामय, अविचल अविनाशी।
दोहा: श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं। नव कंज-लोचन, कंजमुख, कर-कंज, पद कंजारुणं॥ कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद-सुंदरं। पट पीत मानहुँ तड़ित रुचि, शुचि नौमि जनकसुतावरं॥ भजु दीनबंधु दिनेश
दोहा : श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस
स्थायी वैशाख की चतुर्दशी आएगुरु नरसिंह को भजते जाएँनर नारी सब मंगल गाएँजय नरसिंह हरे, जय नरसिंह हरे। ऋषि मुनि भी शीश नवाएँश्रद्धा सुमन के दीप जलाएँअसुरों का संहार करें
स्थायी लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। अंतरा 1. नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है,चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती